वर्तमान समय में पढ़ाने का साहस : आचार्य रमेश सचदेवा

आज के समय में शिक्षक बनना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। आधुनिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में कई बदलाव आए हैं, जैसे कि ऑनलाइन शिक्षा, नई-नई तकनीकें, और शिक्षा के प्रति बदलती सामाजिक सोच। शिक्षण केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक साहसिक कार्य बन गया है, जिसमें शिक्षक को हर दिन नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
पहली और सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आज के छात्रों का ध्यान आकर्षित करना मुश्किल हो गया है। सोशल मीडिया, वीडियो गेम और अन्य डिजिटल मनोरंजन के कारण बच्चों का ध्यान जल्दी भटक जाता है। ऐसे में शिक्षक का काम केवल पढ़ाना नहीं, बल्कि रोचक और रचनात्मक तरीके से पढ़ाना हो गया है, जिससे बच्चों में सीखने की रुचि बनी रहे।

दूसरी चुनौती है कि समाज में बढ़ती समस्याओं जैसे परिवार में अस्थिरता, मोबाइल का अत्यधिक उपयोग, और अनुशासन की कमी का प्रभाव छात्रों पर भी पड़ता है। शिक्षकों को इन सभी प्रभावों के बीच छात्रों को अनुशासन में रखना और सही मार्गदर्शन देना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

तीसरी चुनौती है छात्रों की बदलती ज़रूरतें और उनकी मानसिकता को समझना। आज के बच्चे नई तकनीकों से लैस हैं और शिक्षा के पारंपरिक तरीकों में उन्हें अक्सर दिलचस्पी नहीं होती। ऐसे में शिक्षक का काम सिर्फ पढ़ाना नहीं, बल्कि छात्रों के मन में ज्ञान और शिक्षा के प्रति रुचि उत्पन्न करना है। इसके लिए उन्हें पारंपरिक तरीके छोड़कर रचनात्मक और नवीन दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत होती है, जो एक साहसी कदम है।

चौथी चुनौती है शिक्षा में तकनीकी प्रगति को अपनाना। कोविड-19 महामारी के दौरान शिक्षकों ने ऑनलाइन शिक्षा को अपनाया, जो उनके लिए एक कठिनाई भरा कदम था। तकनीक का इस्तेमाल सीखना और उसे बच्चों तक पहुँचाना, यह कार्य साहस और धैर्य का प्रतीक है।

पाँचवीं चुनौती है कि आज शिक्षकों पर केवल शिक्षा देने का ही नहीं, बल्कि अच्छे परिणाम लाने का भी दबाव रहता है। आजकल स्कूल और अभिभावक दोनों ही शिक्षकों से उच्चतम प्रदर्शन की उम्मीद करते हैं, जिसके कारण शिक्षक पर अतिरिक्त मानसिक और शारीरिक दबाव बनता है।

इसके अलावा, शिक्षकों को समाज में शिक्षा के प्रति घटते सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य जैसे विषयों का सामना भी करना पड़ता है। छात्रों को केवल शिक्षा देना ही नहीं, बल्कि उन्हें जीवन के मूल्य सिखाना और एक सकारात्मक मानसिकता का निर्माण करना भी आज के शिक्षकों की जिम्मेदारी है।

अतः, वर्तमान समय में एक शिक्षक का काम केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि प्रेरणा, सहानुभूति और साहस के साथ बच्चों को समाज में एक सशक्त और संवेदनशील व्यक्ति बनाना है। इस तरह, शिक्षण आज के दौर में एक महान साहसिक कार्य बन गया है, जो समाज को बेहतर बनाने में शिक्षक की भूमिका को और अधिक महत्वपूर्ण बना देता है।

शिक्षकों को अपने शिक्षण के प्रति नए दृष्टिकोण और आत्मनिरीक्षण का जब भी अवसर मिलता है, जिससे वे न केवल एक बेहतर शिक्षक सिद्ध हो सकते हैं और अपने विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन सकते हैं, उसे सदैव हर हाल में हासिल करना चाहिए।

यह लेख आज के शिक्षकों को अपने भीतर के साहस को पहचानने और उस साहस से प्रेरणा लेकर अपने पेशे में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए निश्चित ही मार्गदर्शन प्रदान करेगा।

 

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