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क्रिसमस दिवस पर विशेष क्रिसमस ट्री का इतिहास- आचार्य रमेश सचदेवा

क्रिसमस ट्री का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है, जब लोगों ने पेड़ों और पौधों को विशेष महत्व दिया था। सदाबहार पेड़ों, जैसे कि देवदार और फर, को सर्दियों के मौसम में जीवन और पुनर्जन्म का प्रतीक माना जाता था। विभिन्न संस्कृतियों में इन पेड़ों को पूजा के लिए इस्तेमाल किया जाता था और यह माना जाता था कि ये बुरी आत्माओं को दूर रखते हैं।
प्राचीन परंपराएं के अनुसार प्राचीन मिस्र, रोम, और ड्रुइड जैसे यूरोपीय समुदायों में सदाबहार पेड़ों का महत्व था। मिस्रवासी भगवान रा की पूजा करते समय घरों को हरे पत्तों और पेड़ों से सजाते थे। रोम में, सर्दियों के त्योहार सैटर्नेलिया के दौरान घरों में हरे पौधे लगाए जाते थे, जो उपज और खुशी का प्रतीक माने जाते थे। इसी प्रकार, यूरोप के ड्रुइड पुजारियों ने भी देवदार के पेड़ों को पवित्र माना और इसे अनंत जीवन का प्रतीक समझा।

आधुनिक क्रिसमस ट्री की शुरुआत जर्मनी से शुरू हुई। 16वीं शताब्दी में जर्मन लोग क्रिसमस के अवसर पर घरों में पेड़ों को सजाने लगे। इस परंपरा को मार्टिन लूथर जैसे धार्मिक सुधारकों ने और अधिक लोकप्रिय बनाया। कहा जाता है कि मार्टिन लूथर ने पहली बार मोमबत्तियां जलाकर पेड़ को सजाया ताकि वह तारों की तरह चमकें।

इंग्लैंड और अन्य देशों में प्रचलन की बात करें तो यह 19वीं शताब्दी में क्रिसमस ट्री की परंपरा इंग्लैंड और अमेरिका में भी लोकप्रिय हो गई। इंग्लैंड की रानी विक्टोरिया और उनके पति प्रिंस अल्बर्ट (जिनका जर्मन मूल था) ने 1840 के दशक में शाही महल में क्रिसमस ट्री लगाया। इस घटना को अखबारों में छापा गया, जिसके बाद यह परंपरा आम लोगों में भी फैल गई। अमेरिका में यह परंपरा प्रवासी जर्मन समुदाय के माध्यम से पहुंची और धीरे-धीरे पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गई।

सजावट की परंपरा पर भी समय की देन है। शुरुआत में क्रिसमस ट्री को मोमबत्तियों, फल, और मिठाइयों से सजाया जाता था। समय के साथ, बिजली की रोशनी, गेंदें, रिबन, और अन्य सजावटी चीजों ने इनकी जगह ले ली। क्रिसमस ट्री के ऊपर तारे या स्वर्गदूत (एंजेल) को लगाना लोकप्रिय हो गया, जो बेथलहम के तारे और यीशु के जन्म का प्रतीक माना जाता है।

क्रिसमस ट्री का महत्व की बात करें तो आज के समय में, क्रिसमस ट्री न केवल ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, बल्कि यह खुशी, सामंजस्य और परिवार के साथ समय बिताने का प्रतीक भी बन गया है। यह परंपरा दुनिया भर में हर धर्म और संस्कृति के लोगों द्वारा अपनाई जा चुकी है।

क्रिसमस ट्री का इतिहास केवल एक धार्मिक प्रतीक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानवता, प्रकृति के सम्मान, और त्योहारों की खुशी का प्रतीक है। इसकी जड़ें प्राचीन परंपराओं से लेकर आधुनिक सजावट तक फैली हुई हैं।

स्वतंत्र लेखक
निदेशक, ऐजू स्टेप फाउंडेशन

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