प्रशिक्षणार्थियों का गांव सुकेराखेड़ा में जीएपी फार्म का भ्रमण करवाया, प्रगतिशील किसान आशीष मैहता ने प्रशिक्षणार्थियों को दी टिकाऊ कृषि बारे अहम जानकारी
डबवाली-कृषि विज्ञान केन्द्र , ग्रामोत्थान विद्यापीठ, संगरिया के तत्वावधान में संचालित 'डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन सर्विस फॉर इनपुट डीलर्स' के एक वर्षीय पाठयक्रम के अंतिम चरण में उपमंडल डबवाली के गांव सुकेराखेड़ा में स्थित 'गुड एग्रीकल्चर प्रेक्टिस' (जीएपी) फार्म का भ्रमण किया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. अनूप कुमार ने बताया कि उक्त डिप्लोमा कोर्स में 40 प्रतिभागियों ने केन्द्र के सहायक वैज्ञानिक डॉ. रघुवीर सिंह नैण, फैसीलीटेटर डूंगरमल डाल के साथ भ्रमण में हिस्सा लिया। जीएपी फार्म के ऑनर आशीष मेहता ने सभी प्रतिभागियों को फार्म का भ्रमण करवाया और जीएपी फार्मिंग में प्रयुक्त खेती के तकनीकी पहलुओं से परिचय करवाया। उन्होंने खेती में कार्बन क्रेडिट के महत्व विस्तृत चर्चा की।
आशीष मैहता ने बताया कि विभिन्न फसलों के अवशेष भी प्रबंधन द्वारा मिट्टी में डाला जाता है जिससे मिट्टी में कार्बन तत्व बढ़ते हैं और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। उन्होंने जीएपी एक पद्धति है जो किसानों को सुरक्षित, स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य और गैर-खाद्य उत्पादों का उत्पादन करने में मदद करता है। इसके माध्यम से फार्मिंग में पर्यावरण की रक्षा करने और कृषि श्रमिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को बेहतर बनाने में भी मदद की जाती हैं। किसानों को पानी, उर्वरक और कीटनाशकों जैसे संसाधनों का अधिक कुशलता से उपयोग करने बारे बताया जाता है। रसायनों और कीटनाशकों के अनुचित उपयोग से कृषि श्रमिकों के स्वास्थ्य की रक्षा करने में मदद की जाती हैं। आशीष मैहता ने बताया कि जीएपी द्वारा टिकाऊ उपज सुनिश्चित करने में मदद की जाती है। मध्यम से उच्च उर्वरकता वाली मिट्टी का चयन, उर्वरकों और कीटनाशकों का उचित उपयोग आदि पहलुओं पर खास जोर दिया जाता है। फसलों पर जैव कीटनाशकों, जैव उर्वरकों एवं जैव फ फूंदी नाशकों का उपयोग कर जहरीले कीटनाशकों से छुटकारा मिलता है और मृदा में भी जीवाणुओं की बढ़ोतरी होने से फसलों की गुणवत्ता के साथ-साथ पैदावार को भी बढ़ाया जा सकता है। इस पद्धति को विशेषकर टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है। अंत में डा. अनूप कुमार व डा. रघुबीर सिंह नैन ने कहा कि इस प्रकार के उत्कृष्ट फार्म के भ्रमण से खेती के बेहतरीन तरीकों व तकनीकों के बारे में जानकारी मिलती है। उन्होंने जानकारी शेयर करने के लिए आशीष मैहता का धन्यवाद किया। वहीं, प्रतिभागियों ने सुकेराखेड़ा के फार्म से मिली जानकारी को अहम एवं लाभकारी बताया।
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