राष्ट्रीय पक्षी दिवस के संदर्भ में आओ करें इन आंकड़े पर विचार : आचार्य रमेश सचदेवा

राष्ट्रीय पक्षी दिवस एक अद्भुत अवसर है जब हम पक्षियों की विविधता और उनके अद्वितीय गुणों के बारे में सोचते हैं। नीचे दिए गए आंकड़े हमें यह दर्शाते हैं कि पक्षी न केवल हमारे पर्यावरण के महत्वपूर्ण हिस्से हैं, बल्कि उनके अद्वितीय गुण और क्षमता भी हमें हैरान कर देती हैं। चाहे वह 10,000 विभिन्न प्रजातियाँ हों, या अफ्रीकी ग्रे तोते के 100 शब्दों की क्षमता, पक्षियों की दुनिया एक रहस्य और आश्चर्य से भरी हुई है। विश्व स्तर पर नैशनल बर्ड डे जनवरी को मनाया जाता है। वहीं भारत में राष्ट्रीय पक्षी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से हमारे देश के राष्ट्रीय पक्षी, मोर, के संरक्षण के लिए समर्पित है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य भारत में पक्षियों की जैविक विविधता और उनके संरक्षण की दिशा में जागरूकता फैलाना है।


आओ इस दिन पक्षियों के इन आंकड़ों से परिचय करें व इनके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करें

संख्या

जानकारी

10,000

पक्षियों की अनुमानित प्रजातियाँ

2¼ इंच

पृथ्वी पर सबसे छोटे पक्षी की लंबाई

1

बतख के पास सोते समय खुला रखने वाली आँखों की संख्या

50

अधिकांश तोते जितने शब्द सीख सकते हैं

43 मील प्रति घंटा

ओस्ट्रिच की अधिकतम दौड़ने की गति

20%

पक्षियों की प्रजातियाँ जो हर साल लंबी यात्रा करती हैं

100

अफ्रीकी ग्रे तोते कम से कम जितने शब्द सीख सकते हैं

50,000

वुडपेकर्स जो एक बार में जितने एकॉर्न इकट्ठा कर सकते हैं

 

राष्ट्रीय पक्षी दिवस को मनाने का उद्देश्य केवल पक्षियों के बारे में जानकारी प्राप्त करना ही नहीं हैबल्कि उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना भी है। जब हम पक्षियों की अद्भुत क्षमताओं को समझते हैंतो यह हमें उनके संरक्षण की आवश्यकता का एहसास कराता हैताकि यह अद्वितीय जीव आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित रहें।

राष्ट्रीय पक्षी दिवस के दौरानहमें यह समझना चाहिए कि पक्षियों का जीवन हमारे जीवन से गहरे रूप से जुड़ा हुआ हैऔर उनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है।

आओ पर्यावरण के लिए उपयोगी पक्षियों के बारे में जानें :

  1. मधुमक्खी खाने वाले पक्षी (जैसेचिड़ीयाबुलबुल)
    • ये पक्षी मच्छरों और अन्य कीटों को खाते हैंजिससे कीटों की संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है और प्रदूषण कम होता है।
  2. गिद्ध
    • गिद्ध मृत जानवरों के शवों को खाते हैंजिससे पर्यावरण में स्वच्छता बनी रहती है और जैविक अपशिष्ट का नष्ट होना सुनिश्चित होता है।
  3. तोते
    • तोते विभिन्न प्रकार के फलों और बीजों को खाते हैं और फिर इन्हें फैलाते हैंजिससे पौधों की प्रजनन प्रक्रिया में मदद मिलती है और वनस्पति का प्रसार होता है।
  4. वृक्षपक्षी (जैसेवुडपेकर्स)
    • ये पक्षी पेड़ों से कीटों को निकालते हैंजिससे पेड़ स्वस्थ रहते हैं और कीटों से होने वाली क्षति को रोका जाता है।
  5. कबूतर
    • कबूतर बीजों और फलों को खाते हैं और इन्हें फैलाते हैंजिससे वनस्पति का प्रसार और पौधों की वृद्धि होती है।
  6. हॉक्स और ईगल्स
    • ये शिकारी पक्षी छोटे जानवरोंजैसेखरगोशचूहे और अन्य शिकारियों का शिकार करते हैंजिससे कृषि और पर्यावरण पर दबाव कम होता है और संतुलन बना रहता है।
  7. चकोर
    • चकोर छोटे कीटों और बीजों को खाते हैंजिससे कीटों की संख्या नियंत्रित रहती है और कृषि में मदद मिलती है।
  8. फ्लेमिंगो
    • ये पक्षी कीचड़ और कीटों को खाते हैंजिससे जलाशयों की सफाई होती है और जल जीवन की रक्षा होती है।
  9. पेलिकन
    • पेलिकन मछलियाँ खाते हैंजिससे जल क्षेत्र में मछलियों की अधिकता को नियंत्रित किया जाता है और पारिस्थितिकी तंत्र संतुलित रहता है।
  10. नाइटहॉक्स
    • ये पक्षी रात के समय कीड़ेविशेषकर मच्छरोंको खाते हैंजिससे मच्छरों की संख्या नियंत्रित रहती है और वे बीमारी फैलाने से बचते हैं।
  11. क्रीब
    • क्रीब (Crane) खेतों और पानी के निकटवर्ती इलाकों में छोटे कीटों और बीजों का सेवन करते हैंजो कृषि में मददगार होते हैं।
  12. स्वालो (स्वैलो)
    • ये पक्षी मच्छरों और अन्य छोटे कीटों को खाते हैंजिससे पर्यावरण में कीटों का नियंत्रण होता है और कृषि को फायदा होता है।
  13. उल्लू
    • उल्लू रात में छोटे जीवोंजैसे चूहों और अन्य कृंतकों का शिकार करते हैंजिससे कृषि क्षेत्र में नुकसान कम होता है और संतुलन बना रहता है।

इन पक्षियों का पर्यावरण में अत्यधिक योगदान है। वे प्राकृतिक कीट नियंत्रणपौधों के प्रसारखाद्य श्रृंखला के संतुलन और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वस्थ रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन पक्षियों का संरक्षण न केवल उनके जीवन को बचाने के लिए जरूरी हैबल्कि इससे पर्यावरण को भी स्थिर और स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है।

 

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