बिश्नोई धर्म अनुसार हवन यज्ञ कर बच्चे की जन्म संस्कार रस्म अदा की
डबवाली-गांव सक्ताखेड़ा में विक्रमजीत बिश्नोई के निवास पर आयोजित कार्यक्रम में जय सिंह गोदारा व एलिस के पुत्र की जन्म संस्कार रस्म बिश्नोई धर्म अनुसार अदा की गई। पुजारी ओम विष्णु गायणाचार्य के सानिध्य में सोलह संस्कारों में पहला संस्कार-जन्म संस्कार के तहत 120 शब्दों के पाठ के साथ हवन यज्ञ कर अमृतमयी पाहल बनाया गया। बच्चे का नाम शास्त्रों के अनुसार वायु वर्धन रखा गया।
यह जानकारी देते हुए बिश्नोई सभा सचिव इंद्रजीत बिश्नोई ने बताया कि वायु वर्धन रिश्ते में उसकी भानजी का लड़का दोहता है। श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान द्वारा द्वारा बताए 29 नियमों की श्रृंखला में पहला नियम 30 दिन तक सूतक रखना है। अर्थात बच्चे के जन्म के बाद 30 दिन के बाद शुक्ल पक्ष ओर कृष्ण पक्ष दोनों पखवाड़े निकल जाते हैं। दोनों पखवाडो में जितने ग्रह नक्षत्र होते हैं उनका दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है। 30 दिन का सूतक रखने से बच्चे पर जीवन भर ग्रह नक्षत्रों के दुष्प्रभाव लागू नहीं होते हैं। सभी बिश्नोई परिवारों में 30 दिन के बाद बच्चों की जन्म संस्कार रस्म बिश्नोई धर्म अनुसार अदा की जाती है।
Labels:
Dabwali
No comments:
Post a Comment