रोजगार गारंटी कानून पर उठे सवाल! दिग्विजय चौटाला ने सरकार से मांगा जवाब – युवाओं को कब मिलेगा हक?
डबवाली।हरियाणा में युवाओं के रोजगार का मुद्दा एक बार फिर गर्मा गया है। जननायक जनता पार्टी (JJP) के प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला ने विधानसभा बजट सत्र में रोजगार गारंटी कानून पर गंभीर चर्चा की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विधायकों को इस अहम कानून पर विचार करना चाहिए, जिससे हरियाणा के युवाओं के लिए ठोस फैसले लिए जा सकें।
युवाओं की बेबसी पर उठाए सवाल
दिग्विजय चौटाला ने सरकार को घेरते हुए कहा कि बेरोजगारी के कारण प्रदेश के युवा लाखों रुपए खर्च कर विदेश जाने को मजबूर हो रहे हैं। हाल ही में अमेरिका से डिपोर्ट हुए हरियाणवी युवाओं ने अपनी पीड़ा साझा की, जिससे साफ है कि राज्य में रोजगार के अवसर सीमित हैं। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN) के तहत अब तक कितने अनुबंधित कर्मचारियों को रोजगार मिला है और कितनों को वेतन मिलना शुरू हुआ?
7 महीने बाद भी अधूरी घोषणाएं!
उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी अनुबंधित कर्मचारियों को HKRN के तहत जोड़ने की घोषणा की थी, लेकिन 7 महीने बीत जाने के बावजूद यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। इससे हजारों युवाओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है। उन्होंने सरकार से यह भी स्पष्ट करने को कहा कि किन विभागों में अभी भी कर्मचारी ठेकेदारी प्रथा में फंसे हुए हैं और कब तक उन्हें स्थायी रोजगार मिलेगा?
"रोजगार की गारंटी होगी तो विदेश जाने की जरूरत नहीं"
चौटाला ने सभी विधायकों से अपील की कि वे बजट सत्र में रोजगार गारंटी कानून पर खुलकर चर्चा करें और इसे लागू करवाने के लिए दबाव बनाएं। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश में युवाओं को नौकरी की गारंटी मिल जाए तो वे विदेश जाने के लिए मजबूर नहीं होंगे।
ठेकेदारी प्रथा खत्म करने का वादा सिर्फ कागजों तक?
दिग्विजय चौटाला ने सवाल उठाया कि सरकार ने ठेका प्रथा खत्म करने का दावा किया था, फिर भी हजारों अनुबंधित कर्मचारी लगातार हड़ताल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर HKRN सही तरीके से लागू होता तो कर्मचारियों को बार-बार सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता।
सरकार को देना होगा जवाब!
JJP नेता ने कहा कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि कितने कर्मचारियों को HKRN के तहत वेतन मिलना शुरू हुआ है और बाकी बचे कर्मचारियों को कब तक जोड़ा जाएगा। उन्होंने सरकार से अपील की कि रोजगार की गारंटी सिर्फ वादों में नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत में दिखनी चाहिए।
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